डॉ मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने न केवल भारत की आर्थिक प्रगति को दिशा दी बल्कि देश के प्रधानमंत्री के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया।
उनकी शिक्षा की नींव गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में रखी गई। इसके बाद उन्होंने केंब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की।
शिक्षा और शोध कार्य
केंब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक (1957)
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल (1962)
उन्होंने "India’s Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth" पर शोध किया, जो बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ।
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डॉ. सिंह का व्यावसायिक जीवन
विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव
डॉ. सिंह ने 1970 के दशक में विश्व बैंक में काम किया। इस दौरान उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गहराई से समझा और भारत के लिए आर्थिक विकास की योजनाएँ बनाईं।
भारत सरकार में योगदान
डॉ. सिंह ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया:
मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-76)
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर (1982-85)
योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-87)
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वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधार
1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उस समय डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया।
मुख्य आर्थिक सुधार:
1. नवउदारवादी नीति का शुभारंभ:
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. विदेशी निवेश को बढ़ावा:
विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोलकर उन्होंने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया।
3. कर सुधार:
उन्होंने टैक्स सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाया।
परिणाम:
इन सुधारों के कारण भारत की जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ी आई, और देश को वैश्विक मंच पर एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान मिली।
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प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004-2014)
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, जो देश की दिशा और दशा बदलने में सहायक रहे।
मुख्य उपलब्धियाँ:
1. परमाणु समझौता (2008):
अमेरिका के साथ ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौता किया, जिसने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया।
2. ग्रामीण विकास:
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम):
ग्रामीण बेरोजगारी को कम करने के लिए यह योजना शुरू की गई।
भारत निर्माण योजना:
ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास।
3. सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा:
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन: ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009): 6 से 14 साल के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।
4. आर्थिक क्षेत्र में योगदान:
भारत को वैश्विक आर्थिक मंदी (2008) से सफलतापूर्वक बाहर निकाला।
एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को बढ़ावा दिया।
5. कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पड़ोसी देशों के साथ शांति और सहयोग की नीति अपनाई।
चीन और अमेरिका के साथ आर्थिक और सामरिक संबंध मजबूत किए।
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डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की विशेषताएँ
नम्रता और सादगी:
डॉ. सिंह को उनकी सादगी और शालीनता के लिए जाना जाता है।
पारदर्शिता और ईमानदारी:
उन्होंने हमेशा नैतिकता को प्राथमिकता दी।
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चुनौतियाँ और आलोचना
1. नीतिगत जड़ता (Policy Paralysis):
2011-14 के दौरान उनकी सरकार पर नीतिगत निर्णय न लेने का आरोप लगा।
2. घोटालों का दौर:
2G स्पेक्ट्रम घोटाला
कोयला घोटाला
इन मुद्दों ने उनकी सरकार की छवि को धक्का पहुँचाया।
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डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने भारत को आर्थिक प्रगति के पथ पर अग्रसर किया और वैश्विक मंच पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई।
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निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक आदर्श व्यक्तित्व हैं। उनकी सादगी, ज्ञान, और दूरदृष्टि ने देश को अनेक संकटों से उबारा। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा।
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डॉ. मनमोहन सिंह की प्रेरक छवियाँ
1. प्रधानमंत्री के रूप में संसद में भाषण देते हुए।
2. अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा कार्यक्रम का निरीक्षण।
(फोटो जोड़ने के लिए आप उपयुक्त छवियों का उपयोग कर सकते हैं।)
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